पृथ्वीनाथ मंदिर | Prithvinath Temple – Prithvi Nath Temple Gonda
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हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन इस विशाल शिवलिंग का जलाभिषेक करके भगवान शिव का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. माना जाता है की अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने यहाँ शिवलिंग की स्थापना की जिसमें यहां पांडवों ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की. तथा सभी ने अलग-अलग स्थानों पर शिवलिंग स्थापित किए ओर यहाँ का शिवलिंग भीम द्वारा स्थापित किया गया था.
पृथ्वीनाथ मंदिर पौराणिक कथा । Prithvinath Temple Story In Hindi
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तब वह यहां पर आए इस दौरान भीम ने यहाँ पर इस शिवलिंग की स्थापना की थी. परंतु कालांतर में यह शिवलिंग जमीन में धसने लगा और धीरे धीरे पूरा का पूरा शिवलिंग धरती में समा गया कहा जाता है की एक बार खरगूपुर के राजा गुमान सिंह की अनुमति को पाकर गाँव के निवासी जिसका नाम पृथ्वी सिंह बताया जाता है, उसने अपना घर बनाने के लिए निर्माण कर्य शुरू करवाया परंतु जमीन की खुदाई के दौरान यहां से खून का फौव्वारा बहने लगा.
इस दृश्य को देखकर सभी लोग सहम गए तथा पृथ्वी नाथ सिंह ने घर का निर्माण कार्य को रोक दिया परंतु उसी रात में पृथ्वी सिंह को एक सपना आता है जिसमें उसे इस बात का पता चलता है कि भूमि के नीचे एक सात खण्डों का शिवलिंग दबा है हुआ है. जिसे निकाल कर उसकी स्थापना का आदेश प्राप्त होता है.
प्रात:काल उठ कर वह इस बात को राजा के समक्ष रखता है जिस पर राजा उस स्थान पर एक खण्ड तक शिवलिंग खोदने का निर्देश देता है और वहाँ से शिवलिंग प्राप्त होता है इस शिवलिंग की स्थापना की जाती है. राजा पूर्ण विधि विधान से शिवलिंग को मंदिर में स्थापित करवाता है तथा पृथ्वी के नाम पर इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ शिव मन्दिर पड़ गया.
पृथ्वीनाथ मंदिर महत्व | Prithvinath Temple Importance
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यह देश का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है जो महाभारत काल के समय का बताया जाता है. माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है. विद्वानों का तर्क भी यही है कि यह शिवलिंग एशिया का सबसे बदा शिवलिंग है तथा नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी इतना बडा नही है.
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